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surah fatiha by ahmed al ajmi
5 Simple Techniques For surah fath by sudais
ଆହେ ନୀଳ ହ ୈଳ ପ୍ରବଳ ମତ୍ତ ବାରଣ, ହମା ଆରତ ନଳିନୀ ବନକୁ କର ଦଳନ।
Qul lilmukhallafeena minal A’raabi satud’awna ilaa qawmin ulee baasin shadeedin tuqaati loonahum aw yuslimoona fa in tutee’oo yu’tikumul laahu ajran hasananw wa in tatawallaw kamaa tawallaitum min qablu yu’azzibkum ‘azaaban aleemaa
यही ख़ुदा की आदत है जो पहले ही से चली आती है और तुम ख़ुदा की आदत को बदलते न देखोगे
ये वही लोग तो हैं जिन्होने कुफ़्र किया और तुमको मस्जिदुल हराम (में जाने) से रोका और क़ुरबानी के जानवरों को भी (न आने दिया) कि वह अपनी (मुक़र्रर) जगह (में) पहुँचने से रूके रहे और अगर कुछ ऐसे ईमानदार मर्द और ईमानदार औरतें न होती जिनसे तुम वाक़िफ न थे कि तुम उनको (लड़ाई में कुफ्फ़ार के साथ) पामाल कर डालते पस तुमको उनकी तरफ से बेख़बरी में नुकसान पहँच जाता (तो उसी वक्त तुमको फतेह हुई मगर ताख़ीर) इसलिए (हुई) कि ख़ुदा जिसे चाहे अपनी रहमत में दाख़िल करे और अगर वह (ईमानदार कुफ्फ़ार से) अलग हो जाते तो उनमें से जो लोग काफ़िर थे हम उन्हें दर्दनाक अज़ाब की ज़रूर सज़ा देते
Examine the Qur'an by subject material, we've compiled an index of matters and all the verses about that subject.
तारीफ़ अल्लाह ही के लिये है जो तमाम क़ायनात का रब है।
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(जेहाद से पीछे रह जाने का) न तो अन्धे ही पर कुछ गुनाह है और न लँगड़े पर गुनाह है और न बीमार पर गुनाह है और जो शख़्श ख़ुदा और उसके रसूल का हुक्म मानेगा तो वह उसको (बेहिश्त के) उन सदाबहार बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होंगी और जो सरताबी करेगा वह उसको दर्दनाक अज़ाब की सज़ा देगा
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And when the ones which have disbelieved fought you, indeed they'd have turned their backs; thereafter they will find neither a patron nor a Prepared vindicator.
It's the regulation of Allah which hath taken course aforetime. Thou wilt not obtain for the legislation of Allah aught of electrical power to change.
Huwal lazeee arsala Rasoolahoo bilhudaa wa deenil haqqi liyuzhirahoo ‘alad deeni kullih; wa kafaa billaahi Shaheeda
وہی ہے جس نےاپنے رسول کو ہدایت اور دین حق کے ساتھ بھیجا تاکہ اسے ہر دین پر غالب کرے، اور اللہ تعالیٰ کافی ہے گواہی دینے واﻻ
[This was so] that Allah could acknowledge to His mercy whom He willed. Whenever they were apart [from them], We might have punished people that disbelieved amongst them with painful punishment